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Bilaspur Express न्यूज़, प्रिंसिपल के हाथ में कलावा और माथे पर तिलक देखने के बाद उनकी हत्या करने वाले आईएसआईएस आतंकियों को गुरुवार को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई। दोनों को मौत होने तक फंदे पर लटकाए रखा जाएगा।
आठ साल पहले कानपुर में रिटायर प्रिंसिपल रमेश बाबू शुक्ला की हत्या में दोषी आईएसआईएस के आतंकी आतिफ मुजफ्फर एवं मोहम्मद फैसल को एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार मिश्रा ने फांसी की सजा सुनाई है। दोनों आतंकियों पर 10 लाख 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। दोषियों को सुनाई गई सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। दोनों आतंकियों ने स्कूल से साइकिल से लौट रहे रमेश बाबू शुक्ला की केवल इसलिए गोली मारकर हत्या कर दी थी कि उनके हाथ में पीला कलावा और माथे पर तिलक देखकर गैर मुस्लिम मान लिया था।
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि दोषी आतिफ मुजफ्फर एवं मोहम्मद फैसल की गर्दन में फांसी का फंदा डालकर तब तक लटकाया जाए जब तक दोनों की मृत्यु न हो जाए। अदालत ने यह भी कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 के अनुपालन में जुर्माने की रकम बतौर क्षतिपूर्ति मृतक रमेश बाबू शुक्ला के आश्रितों को दी जाएगी। अभियोजन पक्ष ने कुल 26 गवाह पेश किए। गवाहों के बयान और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर कोर्ट ने दोनों को मृत्युदंड से दंडित किया।
कोर्ट का रहम से इनकार
दोनों आतंकियों को एनआईए की विशेष अदालत ने 4 सितम्बर को दोषी ठहराया था। सजा पर सुनवाई के लिए 11 सितंबर को जेल से तलब किया था। वकीलों के विरोध प्रदर्शन और बारिश के कारण 11 को कोर्ट में उन्हें पेश नहीं किया जा सका। गुरुवार को भी वकीलों की हड़ताल एवं प्रदर्शन के चलते दोषी जेल से अदालत नहीं लाए जा सके।
अपराह्न करीब 3 बजे विशेष अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सजा के प्रश्न पर सुनवाई की। इस दौरान दोष सिद्ध आतंकियों की ओर से रहम की मांग की गई लेकिन अदालत ने उनके गंभीर कृत्य को देखते हुए किसी भी तरह की रियायत देने से इनकार कर दिया।
ट्रेन विस्फोट में भी आरोपी
सजा के प्रश्न पर अभियोजन की ओर से तर्क प्रस्तुत करते हुए विशेष लोक अभियोजक कमल किशोर शर्मा, एमके सिंह एवं बृजेश यादव ने कहा कि इन दोनों को उनके पांच साथियों के साथ इसके पहले भी इसी अदालत द्वारा देशद्रोह के मामले में 28 फरवरी 2023 को मृत्युदंड की सजा सुनाई जा चुकी है।
अदालत को बताया गया कि अभियुक्तों ने रमेश बाबू शुक्ला की हत्या करने के बाद 7 मार्च 2017 को भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में विस्फोट किया था, जिसमें आरोपी आतिफ मुजफ्फर एवं दानिश को गिरफ्तार किया गया था। यह मामला अब भी भोपाल की एनआईए की विशेष कोर्ट में लंबित है।
आईएसआईएस से संबंध होने के सबूत मिले
विवेचना के दौरान पता चला कि आरोपित आईएसआईएस के खलीफा अबू बकर अल बगदादी के नाम की शपथ लेकर आतंकी संगठन में शामिल हुए हैं। 24 अक्तूबर 2016 को तीनों आतंकी मोटरसाइकिल संख्या यूपी 78 – सीपी 9704 से शहर में घूम कर एक सटीक निशाने की तलाश में थे। आतिफ मुजफ्फर गाड़ी चला रहा था तथा मोहम्मद फैसल व सैफुल्लाह गाड़ी पर पीछे बैठे थे।
ट्रेन विस्फोट में भी शामिल था आतिफ
एनआईए की ओर से बहस के दौरान बताया गया कि भोपाल-उज्जैन ट्रेन में विस्फोट की गंभीरता को देखते हुए गृह मंत्रालय ने 14 मार्च 2017 को जांच एनआईए को सौंप दी थी। जांच के दौरान आतिफ मुजफ्फर ने बताया कि उन लोगों ने ही कानपुर में रमेश बाबू शुक्ला की गोली मारकर हत्या की थी। विवेचना के दौरान आरोपितों के विरुद्ध हत्या, हत्या की साजिश, विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम एवं आयुध अधिनियम के अंतर्गत गंभीर आरोप लगाए थे।
आतिफ भोपाल से फैसल कानपुर से पकड़ा गया भोपाल उज्जैन ट्रेन विस्फोट के मामले में 8 मार्च 2017 को आतिफ मुजफ्फर को भोपाल से तथा मोहम्मद फैसल को कानपुर से गिरफ्तार किया गया। इसी दौरान 7 / 8 मार्च की रात लखनऊ के ठाकुरगंज थाना क्षेत्र की हाजी कॉलोनी में एटीएस की मुठभेड़ में मोहम्मद सैफुल्लाह मारा गया। जिस मकान में सैफुल्लाह का एनकाउंटर हुआ था, वहां पर जिंदा कारतूस, बम बनाने की सामग्री, आईएसआईएस का झंडा बरामद हुआ था। कानपुर की घटना में प्रयुक्त मोटरसाइकिल आतिफ मुजफ्फर के नाम से पंजीकृत है।
इन धाराओं में चला मुकदमा
फैसल और आतिफ के खिलाफ एनआईए कोर्ट में धारा 302, 34, 16(1)ए, 18 विधि विरुद्ध क्रियाकलाप, 120 बी, धारा-3, 25 व 27/3 आयुध अधिनियम के तहत मुकदमे का विचारण किया गया।